बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
उत्तर-
पूर्व बाल्यावस्था में शारीरिक विकास
(Physical Development During Early Childhood)
पूर्व बाल्यावस्था में शारीरिक विकास निम्नलिखित प्रकार से होता है-
1. ऊँचाई तथा वजन (Height and Weight) - वजन तथा ऊँचाई की वृद्धि के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि इनमें निरन्तर स्थिर वृद्धि होती है। 3 वर्ष की आयु तक बालक के मस्तिष्क का वजन, वयस्क के मस्तिष्क के वजन की 75% वृद्धि प्राप्त कर लेता है तथा 6 वर्ष तक मस्तिष्क का वजन वयस्क मस्तिष्क के वजन की 90% वृद्धि प्राप्त कर लेता है।
बालक का शारीरिक वृद्धि पर पोषण का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। जिन बालकों को उपयुक्त पोषक आहार पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होता है उनकी शारीरिक वृद्धि भी उत्तम रहती है
W.A. Ketcham के अनुसार, “2-6 वर्ष की अवस्था तक तीव्र बुद्धि के बालकों की. लम्बाई सामान्य बुद्धि के बालकों की अपेक्षाकृत अधिक होती है।" अतः लम्बे बालकों का मानसिक विकास अच्छा होता है। इस कारण उसकी विद्यालय में शिक्षण सम्बन्धी उपलब्धियाँ भी अच्छी रहती हैं।
2. शारीरिक अनुपात (Body Proposition) - पूर्व बाल्यकाल में शारीरिक अनुपात में परिवर्तन आते हैं। सिर का धड़ से अनुपात सुधर जाता है। सिर की सतह का क्षेत्रफल सम्पूर्ण शरीर की सतह के क्षेत्रफल का 13% रह जाता है। सिर और चेहरे का अनुपात 1: 8 से घटकर 15 रह जाता है। बालक के सिर का घेरा परिपक्व घेरे का 90% होता है। बालक का धड़ जन्म के आकार से दो गुना लम्बा एवं चौड़ा हो जाता हैं तीसरे वर्ष से पेट अन्दर एवं कन्धे उभरे होने लगते हैं। हाथ एवं पैर भी लम्बे होने लगते हैं। मुड़ी हुयी टाँगें पूर्णरूपेण सीधी हो जाती हैं।
3. दाँत (Teeth) - अस्थायी दाँतों का गिरना इस अवस्था के अन्त तक आरम्भ हो जाता किन्तु स्थायी अभी नहीं दिखाई पड़ते। दाँतों की संख्या वही 20 ही होती है।
4. नाड़ी संस्थान का विकास (Development of Nervous System) - नाड़ी संस्थान का विकास जन्म से 3-4 वर्ष की अवस्था के बाद मन्द गति से चलता है। एक अध्ययन J. P. Scott, 1963 के अनुसार, लगभग 4 वर्ष की अवस्था तक नाड़ी संस्थान में नयी कोशिका का निर्माण नहीं होता है, केवल पुराने या जन्म के समय विद्यमान कोशिकाओं का ही विकास चलता रहता है।
लगभग 2 वर्ष की अवस्था तक मस्तिष्क में जो विकास होता है, उसमें अधिकांश सेरीबिलम, (Cerebellum) और सेरीब्रम (Cerebrum) में होता है। मस्तिष्क के इन्हीं भागों में वह केन्द्र और सेल्स होते हैं, जो बालक के गत्यात्मक व्यवहार का नियन्त्रण करते हैं। जन्म के समय मस्तिष्क का भार लगभग 250 ग्राम तथा वयस्क व्यक्ति के मस्तिष्क का भार 1260 ग्राम से 1400 ग्राम तक होता है। जन्म के समय सम्पूर्ण शरीर के भार की अपेक्षा मस्तिष्क का भार 1/8 होता है। 10 वर्ष की अवस्था में यह भार 1 / 18, पन्द्रह वर्ष की अवस्था में 1/30 तथा परिपक्वावस्था में 1/40 होता है। यद्यपि आठ वर्ष की अवस्था तक मस्तिष्क लगभग परिपक्व हो जाता है, फिर भी मस्तिष्क का विकास किशोरावस्था तक चलता रहता है। उत्तर बाल्यावस्था से किशोरावस्था तक मस्तिष्क में केवल 5% का ही विकास होता है।
5. परिवाही संस्थान का विकास (Development of Circulatory System) -हृदय और रक्तवाही शिशुओं और धमनियों में परिवर्तन बालक के रक्तचाप, नाड़ी गति, शरीर तापमान आदि को प्रभावित करते है। जन्म के समय हृदय और रक्तवाही नलिकाएँ छोटी और संकरी होती हैं। 6 वर्ष की अवस्था तक हृदय का विकास तीव्र गति से होता है। 6 वर्ष की अवस्था तक हृदय का भार जन्म की अपेक्षा 4/5 गुना हो जाता है। शारीरिक विकास के साथ-साथ रक्त नलिकाओं का विकास भी शरीर के अनुपात में बढ़ता जाता है। शैशवावस्था में रक्तचाप (Blood Pressure) कुछ कम होता है। शैशवावस्था और बाल्यावस्था में लड़के-लड़कियों के रक्तचाप में कोई अन्तर नहीं पाया जाता है।
6. पाचन तन्त्र का विकास (Development of Digestive System) - बच्चों का पेट छोटा होता है। बच्चों के पेट की क्षमता कम होती है अत: उनकी पाचन शक्ति अधिक होती है। यही कारण है कि उनका पेट जल्दी खाली हो जाता है। जन्म के समय बालक के पेट की क्षमता एक औंस होती है। दो सप्ताह के बालक के पेट की क्षमता 2% औंस हो जाती है। इस महीने में यह क्षमता 3 औंस हो जाती है। स्पष्ट है कि जीवन के प्रारम्भिक काल में बच्चों के पेट की क्षमता का विकास अति तीव्र गति से होता है। लगभग 3 वर्ष की अवस्था तक इस क्षमता का विकास तीव्र गति से होता है। पेट जल्दी-जल्दी खाली होता है। अतः बच्चों को भोजन जल्दी-जल्दी देना चाहिए। बच्चों का भोजन पौष्टिक भी होना चाहिए। इनके भोजन में पोषक तत्व प्रोटीन, खनिज, कार्बोहाइड्रेट, शर्करा व स्टार्च पर्याप्त मात्रा में होने चाहिए।
7. श्वसन तन्त्र का विकास (Development of Respiratory System) - जन्म के समय फेफड़े छोटे होते हैं। इस अवस्था में सिर की परिधि छाती की परिधि से बड़ी होती है। 2 वर्ष की अवधि में छाती और सिर की परिधि बराबर हो जाती है। निरन्तर वृद्धि करते हुए किशोरावस्था में फेफड़ों के आकार तथा भार, दोनों में वृद्धि होती है। फेफड़ों के आकार में वृद्धि होने के साथ-साथ बालक की साँस लेने की क्षमता भी बढ़ती जाती है। जैसे-जैसे बालक की साँस लेने की क्षमता बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे उसके श्वसन की गति (Respiratory Rate) कम होती जाती है।
8. शारीरिक स्वास्थ्य की स्थिति (State of Physical Health) - बीमारियों से अधिक दुर्घटनाओं की अवस्था है। पूर्व बाल्यकाल की दुर्घटनाएँ जैसे अस्थि टूटना, कट-फट जाना, जल जाना, गिर जाना आदि। इस अवस्था की सामान्य बीमारियाँ हैं- पाचन सम्बन्धी गड़बड़ियाँ, सर्दी-जुकाम आदि। संक्रामक बीमारियाँ जैसे खसरा, मैनजाइटिस, डिप्थीरिया आदि का प्रकोप कमजोर बालकों में देखा जाता है। खेल में अधिक रूचि होने के कारण भूख का महसूस न होना, अधिक थक जाने पर भूख न लगना आदि सामान्य स्वास्थ्य की स्थिति को गिराता है। अत: मौसम से समायोजन ठीक न होना, बुखार, खाँसी आदि सामान्यतः देखे जाते हैं।
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- प्रश्न- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- लार ग्रन्थियों के बारे में बताइए तथा ये किस-किस नाम से जानी जाती हैं?
- प्रश्न- पित्ताशय के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- आँत रस की क्रियाविधि किस प्रकार होती है।
- प्रश्न- श्वसन क्रिया से आप क्या समझती हैं? श्वसन तन्त्र के अंग कौन-कौन से होते हैं तथा इसकी क्रियाविधि और महत्व भी बताइए।
- प्रश्न- श्वासोच्छ्वास क्या है? इसकी क्रियाविधि समझाइये। श्वसन प्रतिवर्ती क्रिया का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- फेफड़ों की धारिता पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- श्वास लेने तथा श्वसन में अन्तर बताइये।
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- प्रश्न- रक्तचाप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हृदय का नामांकित चित्र बनाइए।
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- प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
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- प्रश्न- शरीर पोषण में जल का अन्य पोषक तत्वों से कम महत्व नहीं है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए एवं उनके कार्य बताइये।
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- प्रश्न- वसा की दैनिक आवश्यकता बताइए तथा इसकी कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों को बताइए।
- प्रश्न- विटामिन से क्या अभिप्राय है? विटामिन का सामान्य वर्गीकरण देते हुए प्रत्येक का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
- प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
- प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
- प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
- प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
- प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
- प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
- प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
- प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
- प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
- प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
- प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
- प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?